Kasim ansari

Add To collaction

शापित बस्ती.

मैं आज आप लोगों को अपने साथ हुआ वह हादसा बताता हूं जो मैंने किसी को नहीं बताया
एक ऐसा वाक्या जो मैं भूल नहीं सकता जिससे मैं आज भी याद करता हूं तो मेरे जिस्म का रोम-रोम डर से कांप जाता है और मेरा जिस्म सिहर जाता है और मैं यह सोचने पर मजबूर हो जाता हूं क्या किसी के साथ ऐसा भी हो सकता है क्या सच में भूत प्रेत जिन्नात होते हैं हां मैं जानता हूं कि मैं एक पढ़ा लिखा व्यक्ति हूं और पेशे से डॉक्टर हूं शायद मेरी यह बात किसी पढ़े-लिखे को समझ मे ना आये...लेकिन मेरी बात का एक-एक अल्फाज सच्चा है...
 यह बात उन दिनों की है जब मैंने डॉक्टरी की पढ़ाई कंप्लीट कर ली थी..और मेरी पोस्टिंग शिमला के एक पहाड़ी इलाके में एक गांव के सरकारी अस्पताल में हुई थी इस बात को गुजरे हुए आज पचीस साल गुजर चुके हैं
मैं नया नया डॉक्टर बना था मुझे कुछ करने का जुनून था लोगों की मदद करने का एक जुनून सवार था मुझ में जवानी का आलम थ नई-नई हाथ में डिग्री थी मैं बड़े जोश के साथ उस जगह पर चला गया जहां पर मेरी पोस्टिंग हुई थी मुझे याद है वह गांव था एक पहाड़ी इलाका बहुत ही खूबसूरत गांव वहां के लोग बहुत सीधे साधे थे मगर गरीब तबके के लोग वहां पर बहुत ज्यादा थे जिनके पास बहुत कम पैसे हुआ करते थे
बहुत से लोगों का मैं इलाज मुफ्त में कर देता था क्योंकि उस वक्त मुझे मदद करने का भूत सवार था
उस सरकारी अस्पताल के पास में ही मेरा क्वार्टर था जहां पर मैं रहता था आधी रात में कभी भी कोई मरीज मेरे दरवाजे पर आता था तो मैं उसका इलाज कर देता था....
मुझे वो रात आज भी याद है मुझे याद है कि रात को फ्री होकर मैं अस्पताल से अपने क्वार्टर पर आ गया था यानी कि अपने घर पर...उस रात सर्दी ज्यादा थी हवा बहुत ठंडी चल रही थी
खाना खाने के बाद.. मैं थोड़ी टहला..और फिर मैं अपने गर्म गर्म बिस्तर पर लेट गया था...और टीवी देखने लगा था...
थोड़े ही देर के बाद मेरी आंख लग गई
करीब रात के दस बजे रात को किसी ने मेरा दरवाजा खटखटाया
मैं चौक कर उठ बैठा लेकिन  दरवाजा खटखटाने पर मुझे कोई हैरानी नहीं हुई थी क्योंकि अक्सर गांव के लोग रात मे मेरे पास आते रहते थे
मैंने दरवाजा खोला तो देखा तो मेरे सामने अस्पताल का एक कर्मचारी था उसे मैं जनता था उस का नाम मोहन लाल था...
वह थोड़ा घबराया हुआ था....मैंने उसे घबराए हुआ देखकर पूछा
क्या हुआ मोहनलाल तुम इतना घबराये हुए क्यों हो
मोहनलाल ने मुझे देख कर कहा जल्दी चलिए डॉ साहब अस्पताल में एक बहुत ज्यादा सीरियस पेशेंट आया है उसकी बहुत ज्यादा तबीयत खराब है  उसकी आंखें भी नहीं खुल रही हैँ और उसकी नब्ज बहुत धीमी चल रही है
मैंने उसकी बात सुनकर फौरन अपना कोट पहना और उसके साथ चल दिया
अस्पताल की तरफ जा कर मैंने देखा तो वहां पर  चार पांच लोगों की भीड़ जमा थी गांव में अक्सर ऐसा होता है कोई भी बीमार पड़ता है तो चार-पांच लोग गांव के हमेशा साथ में उस वक्त आ जाते थे
मैंने उन लोगों को अलग हटाया और उस कमरे की तरफ चल दिया
जहाँ पर मरीज़ को रखा गया था..मैंने देखा मरीज के पास एक औरत बैठी हुई थी उसकी आंखों में आंसू थे...और बगल में एक बूड़ा शख्स बैठा हुआ था वह एक लंबी चौड़ी कद काठी का बूड़ा व्यक्ति था मगर उसका जिस्म गांव वालों की तरह तगड़ा और तंदुरुस्त ही था बुढ़ापे ने भी उसके जिस्म पर कोई खास असर नहीं डाला था
मैंने उन लोगों को अलग हटाया और मरीज की तरफ चल दिया जैसे ही मेरी निगाह मरीज की तरफ पड़ी तो मैं उसे गौर से देखने लगा
वो एक लड़की थी जो निहायत ही खूबसूरत थी और आंखें बंद करके लेटी हुई थी मैं उस लड़की चेहरे से अपनी नज़र नहीं हटा पा रहा था.. फिर मुझे ख्याल आया कि मैं एक डॉक्टर हूं... मैं बता नहीं सकता उस लड़की मे ना जाने कैसी कशिश थी... खुद को संभाल कर मैं जैसे ही उस लड़की के नजदीक पहुंचा तो वह बूड़ा व्यक्ति जो लड़की के बगल में खड़ा हुआ था मेरे सामने हाथ जोड़ कर कहने लगा
डॉक्टर साहब मेरी लड़की की जान बचा लीजिए यह मेरी इकलौती लड़की है मैं इसके लिए कुछ भी करने को तैयार हूं आप जो मांगोगे मैं देने को तैयार हूं बस आप मेरी लड़की की जान बचा लीजिए
मैंने उस बूढ़े की तरफ देखा वह जिस्म में तगड़ा जरूर था लेकिन कपड़े उसके गांव वाले जैसे थे मैंने मन ही मन में सोचा इस बेचारे के पास क्या होगा जो यह कह रहा है कि वह सब कुछ देने को तैयार है फिर मेरे मन में ख्याल आया कि औलाद की मोहब्बत में अक्सर माँ बाप ऐसा बोल जाते हैं फिर मैंने उस बूढ़े से कहा

घबराओ मत बाबा मैं देखता हूं क्या हुआ है
फिर मैंने लड़की की नब्ज पकड़ी मैंने देखा उसकी नब्ज बहुत धीमी चल रही थी मगर उसका जिस्म पूरा ठंडा पड़ा हुआ था फिर मैंने उस बूड़े की तरफ देख कर कहा
इसको बुखार नहीं है सर्दी का असर है शायद निमोनिया हो सकता है फिर मैंने एक डॉक्टर होने के नाते उसका चेकअप किया..
फिर मैंने उस बूढ़े से पूछा
आपकी बेटी ने कुछ खाया है ये कब से भूखी है....
वो बूड़ा व्यक्ति मेरा सवाल सुनकर नजरें चुराने लगा
तभी वह औरत जो उस लड़की पास ही बैठी हुई थी
वो अचानक उठ कर ख़डी हो कर मुझ से धीरे से बोली
डॉ साहब मुझे आप से कुछ अकेले मे बात करनी है...
मैं उस औरत को देखने लगा.........

   11
2 Comments

इंटरेस्टेड ...

Reply

Kasim ansari

06-Jan-2022 09:48 PM

Thank you..

Reply